सांडा का तेल क्या है? इसके फायदे, उपयोग और नुकसान जानें — Sande ka Oil in Hindi
भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में कई ऐसे तेल और जड़ी-बूटियाँ सदियों से इस्तेमाल की जाती रही हैं, जिनके बारे में आधुनिक विज्ञान अब शोध कर रहा है। इन्हीं में से एक नाम है - सांडा का तेल (Sanda Oil / Saandhha Oil)। इसे आम भाषा में लिज़र्ड ऑयल, मॉनिटर लिज़र्ड ऑयल भी कहा जाता है।
वैज्ञानिक शोधो पर आधारित आज के इस ब्लोगे पोस्ट जानें
- क्या होता है सांडे का तेल
- कैसे बनता है सांडे का तेल
- सांडे के तेल के प्रमुख फायदे
- सांडा ऑयल की सामग्री और उनका असर
- सांडे का तेल कैसे लगाएँ?
- सांडे के तेल के नुकसान
- सांडा ऑयल के फायदे और नुकसान - एक तुलनात्मक अध्यन
क्या होता है सांडे का तेल? (What is Sanda Oil in Hindi)
सांडा का तेल वास्तव में एक खास प्रजाति की मॉनिटर लिज़र्ड (Varanus species) से निकाला गया तेल है। भारत में इसे आम तौर पर सांडा, गोह, मॉनिटर लिज़र्ड, घोघा आदि नामों से जाना जाता है।
हालाँकि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अनुसार मॉनिटर लिज़र्ड को मारना ग़ैर-कानूनी है, फिर भी बाज़ार में मिलने वाले सांडा तेल के बड़े हिस्से को प्राकृतिक, जड़ी-बूटी आधारित "हर्बल सांड ऑयल", या इन्फ्यूज्ड ऑयल के रूप में बेचा जाता है, जिसमें असली लिज़र्ड का तेल होता ही नहीं।
तो क्या असली सांडा तेल मिलना संभव है?
- बाज़ार में मिलने वाले 90% से अधिक तेल हरबल या आयुर्वेदिक मिश्रण होते हैं।
- असली मॉनिटर लिज़र्ड ऑयल मिलना कानूनी रूप से प्रतिबंधित और जोखिम भरा है।
- इसलिए यह समझना ज़रूरी है कि आप जो तेल खरीद रहे हैं वह असल सांडा तेल नहीं, बल्कि एक हर्बल उत्पाद हो सकता है।
कैसे बनता है सांडे का तेल? (Kaise banta hai sande ka Oil)
असली सांडा तेल बनाने की प्रक्रिया पारंपरिक और श्रमसाध्य होती है। यह आधुनिक रिफाइनिंग प्रक्रिया से अलग है।
- संग्रहण (Collection) - सबसे पहले सांडा के पेड़ से पके हुए फलों या बीजों को एकत्र किया जाता है। यह काम मौसम के अनुसार, आमतौर पर देर से गर्मियों या शुरुआती सर्दियों में किया जाता है।
- सुखाना (Drying) - एकत्र किए गए बीजों को अच्छी तरह से धूप में सुखाया जाता है ताकि उनमें से नमी पूरी तरह निकल जाए। सूखे बीज तेल निकालने के लिए तैयार होते हैं।
- कोल्हू से दबाना (Cold Pressing) - पारंपरिक तरीके में, इन सूखे बीजों को लकड़ी के कोल्हू (घानी) में डालकर दबाया जाता है। इस प्रक्रिया में बहुत अधिक गर्मी नहीं होती, जिससे तेल के प्राकृतिक गुण बने रहते हैं। यही कारण है कि कोल्ड-प्रेस्ड सांडा तेल सबसे ज्यादा गुणकारी माना जाता है।
- औषधीकरण (Medication) - इस कच्चे तेल को सीधे इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसे एक 'आधार तेल' के रूप में प्रयोग किया जाता है और इसमें कई अन्य जड़ी-बूटियों जैसे आंवला, भृंगराज, ब्राह्मी, मेथी, नीम, तिल का तेल आदि को डालकर हल्की आंच पर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया से तेल में इन जड़ी-बूटियों के गुण समा जाते हैं और यह बालों के लिए एक सुपर-पॉवरफुल तेल बन जाता है।
यह पूरी प्रक्रिया ही असली और नकली सांडा तेल में अंतर पैदा करती है। नकली तेलों में ये सारी प्रक्रियाएं नहीं अपनाई जातीं।
सांडे के तेल के प्रमुख फायदे (Sanda Oil ke Fayde in hindi)
सांडा तेल के फायदों की लिस्ट काफी लंबी है। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं।
1. बालों का झड़ना रोके और नए बाल उगाए (Hair Fall Control & Regrowth)
यह सांडा तेल का सबसे प्रमुख और चर्चित फायदा है। इसमें मौजूद पोषक तत्व और औषधीय गुण स्कैल्प में रक्त संचार को बेहतर करते हैं। इससे
- हेयर फॉलिकल्स को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण मिलता है
- बालों का झड़ना कम होता है और सोए हुए फॉलिकल्स सक्रिय होकर नए बाल उगाने लगते हैं।
- यह गंजेपन (Alopecia) की शुरुआती अवस्था में भी फायदेमंद माना जाता है।
2. डैंड्रफ और स्कैल्प इन्फेक्शन दूर करे (Dandruff & Scalp Infection)
सांडा तेल में मौजूद एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण डैंड्रफ पैदा करने वाले फंगस और बैक्टीरिया से लड़ते हैं। यह स्कैल्प को हाइड्रेट करके रूसी और खुजली की समस्या को दूर करता है। नीम जैसी अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने पर इसका प्रभाव और बढ़ जाता है।
3. बालों को काला, घना और मजबूत बनाए (Dark, Thick & Strong Hair)
सांडा तेल बालों के रोम छिद्रों को गहराई से पोषण देता है। इसमें मौजूद आंवला और भृंगराज जैसी जड़ी-बूटियां बालों के प्राकृतिक रंग को बरकरार रखने और उन्हें काला करने में मदद करती हैं। यह बालों के शाफ्ट को मजबूती प्रदान करता है, जिससे बाल टूटते कम हैं और घने व लंबे दिखाई देते हैं।
4. स्तंभन दोष और शीघ्रपतन में संभावित सुधार
सांडा तेल का सबसे बड़ा दावा यह है कि यह लगाने पर जननांग क्षेत्र में रक्त संचार (Blood Circulation) को बढ़ावा देता है । बेहतर रक्त प्रवाह से अस्थायी रूप से इरेक्शन की गुणवत्ता और कठोरता में सुधार होने का दावा किया जाता है । नियमित मालिश से ओवर-एक्साइटेड नसों को शांत करने में मदद मिल सकती है, जिसे शीघ्रपतन का एक कारण माना जाता है ।
5. स्टैमिना और आत्मविश्वास
तेल में मौजूद अश्वगंधा और अन्य वाजीकरण जड़ी-बूटियाँ पुरुषों की यौन ऊर्जा, धीरज (Endurance) और अंतरंग क्षणों में आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक मानी जाती हैं ।
6. जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द
सांडा तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन-रोधी) गुण होने का दावा किया जाता है, जिसके कारण यह जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों की जकड़न और सूजन को कम करने में सहायक हो सकता है । गठिया (Arthritis) और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याओं में प्रभावित क्षेत्र पर तेल की हल्की मालिश करने से राहत मिलने का दावा किया जाता है ।
7. एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी उपयोग
पारंपरिक प्रणालियों में, सांडा तेल को त्वचा संक्रमण, घावों और फोड़े-फुंसी के इलाज में एंटीसेप्टिक गुणों के कारण भी उपयोगी माना जाता है। मालिश से रक्त वाहिकाओं का फैलाव होता है, जिससे रक्त संचार सुधरता है और त्वचा को पोषण मिलता है।
सांडा ऑयल की सामग्री और उनका असर
बाजार में बिकने वाले हर्बल सांडा तेल की प्रभावकारिता, यदि कोई हो, उसमें मौजूद जड़ी-बूटियों के व्यक्तिगत गुणों पर निर्भर करती है। आधुनिक विज्ञान ने इनमें से कई हर्बल घटकों पर अध्ययन किए हैं।
1. अश्वगंधा (Ashwagandha - Withania somnifera)
यह सांडा तेल के सबसे सक्रिय तत्वों में से एक है, जिसे पारंपरिक चिकित्सा में "इंडियन जिनसेंग" कहा जाता है ।
प्रभावकारिता
अश्वगंधा पर हुए क्लीनिकल अध्ययनों से पता चलता है कि यह तनाव कम करने वाला एक एडेप्टोजन है और पुरुषों में सीरम टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकता है । टेस्टोस्टेरोन का बढ़ा हुआ स्तर यौन इच्छा (लिबिडो), ऊर्जा स्तर और समग्र कल्याण की भावना को बढ़ाता है ।
(Erectile Dysfunction) - ED में भूमिका: यह रक्त वाहिकाओं को फैलाकर (dilate) पूरे शरीर में और विशेष रूप से जननांग क्षेत्र में रक्त प्रवाह में सुधार कर सकता है, जिससे यह अप्रत्यक्ष रूप से ED के कुछ पुरुषों में मदद कर सकता है । अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि अश्वगंधा शुक्राणु की गुणवत्ता, संख्या और एकाग्रता में सुधार करने में मदद कर सकता है ।
2. कलौंजी (Black Cumin - Nigella sativa)
प्रभावकारिता: कलौंजी का सक्रिय घटक, थाइमोक्विनोन (thymoquinone), शरीर में सूजन (inflammation) को कम करने के लिए जाना जाता है । यह रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित करने में भी मदद कर सकता है। चूंकि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल ED के प्रमुख कारण हैं, इसलिए कलौंजी में पाए जाने वाले गुण सैद्धांतिक रूप से इन अंतर्निहित समस्याओं को संबोधित करके ED में सहायता कर सकते हैं ।
3. जायफल और जावित्री (Nutmeg and Mace - Jatiphala/Javitri)
ये तत्व उत्तेजक (stimulating) गुणों के लिए पारंपरिक रूप से उपयोग किए जाते हैं। सांडा तेल में इनका उपयोग स्थानीय क्षेत्र में गर्माहट पैदा करने और रक्त प्रवाह को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है ।
4. शतावरी (Shatavari - Asparagus racemosus)
शतावरी एक प्रसिद्ध वाजीकरण और रसायन जड़ी बूटी है जो प्रजनन स्वास्थ्य और समग्र जीवन शक्ति को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद में लोकप्रिय है ।
सांडे का तेल कैसे लगाएँ? सुरक्षित उपयोग के निर्देश
यदि कोई उपभोक्ता हर्बल सांडा तेल का उपयोग करने का निर्णय लेता है, तो उसे सुरक्षा निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
1. उपयोग की सामान्य विधि
मालिश तकनीक: तेल की 3 से 5 बूँदें लें और जननांग क्षेत्र पर हल्के हाथों से मालिश करें। मालिश तब तक जारी रखें जब तक तेल त्वचा में पूरी तरह अवशोषित न हो जाए ।
आवृत्ति: सर्वोत्तम परिणामों के लिए आमतौर पर दिन में एक या दो बार, उत्पाद के निर्देशों के अनुसार, नियमित रूप से उपयोग करने की सलाह दी जाती है ।
अवधि: परिणामों की आशा करने के लिए नियमित उपयोग की आवश्यकता होती है, हालांकि व्यक्तिगत परिणाम भिन्न हो सकते हैं
2. महत्वपूर्ण सुरक्षा और सावधानियाँ
पैच टेस्ट अनिवार्य: सांडा तेल में कई सक्रिय एसेंशियल ऑयल्स हो सकते हैं, जो एलर्जी पैदा कर सकते हैं। उपयोग करने से पहले, त्वचा के एक छोटे से हिस्से (जैसे हाथ या जांघ) पर थोड़ी मात्रा लगाकर 24 घंटे तक देखें कि कोई एलर्जी या जलन तो नहीं होती ।
केवल बाहरी उपयोग: सांडा तेल केवल बाहरी मालिश के लिए बनाया गया है। इसे कभी भी निगलना या आंतरिक रूप से उपयोग नहीं करना चाहिए।
संवेदनशील क्षेत्रों से बचें: तेल को खुले घावों, सूजन वाले क्षेत्रों, आंखों या म्यूकस मेम्ब्रेन (संवेदनशील आंतरिक त्वचा) के संपर्क में आने से सख्ती से बचना चाहिए ।
महिलाओं के लिए नहीं: यह तेल विशेष रूप से पुरुषों के लिए तैयार किया गया है और महिलाओं को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए ।
सांडे के तेल के नुकसान (Sanda Oil ke Nuksan)
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। सांडा तेल के इतने फायदों के बावजूद, इसके कुछ संभावित नुकसान भी हैं जिन्हें जानना बेहद जरूरी है।
1. गर्म प्रकृति के कारण साइड इफेक्ट (Due to Hot Potency)
सांडा तेल की प्रकृति बहुत गर्म (उष्ण) मानी जाती है। अगर किसी व्यक्ति की प्रकृति पहले से ही गर्म है या उसे पित्त दोष की समस्या है, तो इस तेल के इस्तेमाल से स्कैल्प पर जलन, रैशेज, अत्यधिक खुजली और दाने निकल सकते हैं।
2. बालों का अत्यधिक ऑयली होना (Excessively Oily Hair)
अगर आपके बाल पहले से ही ऑयली हैं और आप सांडा तेल का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं, तो इससे आपके स्कैल्प के पोर्स बंद हो सकते हैं। इससे डैंड्रफ और बाल झड़ने की समस्या और बढ़ सकती है।
3. एलर्जिक रिएक्शन (Allergic Reaction)
किसी-किसी को इस तेल या इसमें मौजूद किसी जड़ी-बूटी से एलर्जी हो सकती है। इसलिए पहली बार इस्तेमाल से पहले पैच टेस्ट जरूर कर लें। अपने हाथ की कलाई या कान के पीछे थोड़ा सा तेल लगाकर 24 घंटे तक देखें कि कोई रिएक्शन तो नहीं हो रहा।
4. नकली तेल के खतरे (Risk of Fake Oil)
जैसा कि पहले बताया, बाजार में नकली सांडा तेल की भरमार है। इनमें हानिकारक केमिकल और मिलावट हो सकती है जो बालों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं, जैसे बालों का पूरी तरह झड़ जाना, स्कैल्प पर घाव आदि।
5. गर्भावस्था में सावधानी (Precaution during Pregnancy)
गर्भवती महिलाओं को इस तेल के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए क्योंकि इसकी गर्म तासीर अनचाहे प्रभाव डाल सकती है।
सांडा ऑयल के फायदे और नुकसान - एक तुलनात्मक अध्ययन
आइए, अब एक नजर में सांडा तेल के फायदे और नुकसान की तुलनात्मक समीक्षा कर लेते हैं।
|
सांडे के तेल के फायदे |
सांडा तेल के नुकसान |
|
बाल झड़ना कम करता है और नए बाल उगाने में मदद करता है। |
गर्म प्रकृति के कारण स्कैल्प पर जलन और रैशेज हो सकते हैं। |
|
आकार में स्थायी वृद्धि |
पूरी तरह से मिथक। कोई तेल स्थायी आकार नहीं बढ़ा सकता । |
|
एंटी-इंफ्लेमेटरी राहत |
पारंपरिक रूप से उपयोगी; हर्बल घटकों के कारण संभावित। |
निष्कर्ष
सांडा का तेल नाम जितना आकर्षक और रहस्यमय लगता है, उतना ही इसके बारे में मिथक भी फैले हुए हैं।
आज के समय में मार्केट में मिलने वाला हर्बल सांड ऑयल असली मॉनिटर लिज़र्ड से नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बनाया जाता है। यह एक मसाज ऑयल की तरह काम करता है और:
- ब्लड सर्कुलेशन
- नसों और मांसपेशियों की मजबूती
- दर्द राहत
- तनाव कम करने में सहायता कर सकता है।
लेकिन पुरुष शक्ति बढ़ाने के दावे वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं हैं और केवल मार्केटिंग का हिस्सा माने जाते हैं।
यदि आप इसे उपयोग करना चाहते हैं, तो:
- केवल प्रामाणिक ब्रांड का हर्बल ऑयल चुनें
- असली सांडा तेल से दूर रहें (अवैध + असुरक्षित)
- उपयोग से पहले पैच टेस्ट कर लें.
अस्वीकरण (Disclaimer) - यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है और यह किसी योग्य चिकित्सक की सलाह का विकल्प नहीं है। कोई भी नया आहार, व्यायाम, या आयुर्वेदिक उपचार शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। Sheopal’s किसी भी तरह के नुकसान के लिए उत्तरदायी नहीं है।
Research :
सांडे का तेल यौन स्वास्थ्य और जोड़ों के दर्द में सदियों से उपयोगी है। (https://www.researchgate.net)
सांडे के तेल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो इसे त्वचा संक्रमण, फोड़े-फुंसी, और घाव भरने के लिए उपयोगी बनाते हैं। (https://www.researchgate.net/)
Dr. Prachi Sharma Vats – Ayurvedic Physician, Author & Wellness Expert
Dr. Prachi Sharma Vats is a dedicated Ayurvedic physician specializing in Ayurvedic nutrition, women’s hormonal health, and PCOD management. She holds a Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (BAMS) degree from Shri Krishna AYUSH University, Kurukshetra.
Currently associated with Sheopal’s, a leading Ayurvedic and wellness brand, Dr. Prachi focuses on treating lifestyle related disorders through holistic Ayurvedic practices, personalized diet guidance, and natural healing therapies. Her approach blends classical Ayurvedic wisdom with modern health insights to promote sustainable well-being.
Thoughts on "सांडा का तेल क्या है? इसके फायदे, उपयोग और नुकसान जानें — Sande ka Oil in Hindi"