Fatty Liver Ke Lakshan In Hindi | फैटी लिवर के लक्षण: कारण और उपचार

Fatty Liver Ke Lakshan In Hindi | फैटी लिवर के लक्षण: कारण और उपचार

कोविड महामारी जैसे ही विश्व में अब एक और महामारी फैलती जा रही है: फैटी लिवर, पर इतनी तेज़ी से लोगो में फैलने के बाद भी इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है क्यूकी यह चुपके से आपके लिवर को अपना शिकार बनाती  है। इसके लक्षण इतने आम है की अक्सर हम इसे मामूली सी समस्या कह कर ताल देते है, और यह धीरे-धीरे लिवर कैंसर बन जाता है।

तो आइए जानते है यह क्या है? और साथ ही फैटी लिवर के लक्षण, कारन, जांच, और, उपचार के बारे में भी ताकि ये "साइलेंट किलर" आपके लिवर को हानी न पहुंचा सके।

फैटी लिवर क्या है? | What is Fatty Liver in Hindi

हमारा लिवर आम तौर पर 500 से अधिक काम करता है हमारे शरीर में: शरीर की सफाई करके विषैले पदार्थो को शरीर से बहार करना और मेटाबोलिज्म को सही तरह से काम करने में मदद करना।  पर फैटी लिवर के कारण हमारे पुरे शरीर पर फ़र्क परता है। 

फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है, जिसमे लिवर की कोशिकाओं में वसा (Fat) जमा होने लगता है। आमतौर पर अधिक शराब पीने को इसका कारण मन जाता है, पर इसके कई और मुख्या कारण , जिसके बारे में हम आगे पढ़ेंगे।

लिवर हमारे शरीर का न सिर्फ एक महत्वपूर्ण अंग है बल्कि यह एकलौता ऐसा अंग है जो की 70% तक नष्ट होने के बाद भी काम कर सकता है।  यह इसकी खूबी भी है और ख़ामी भी।  इसके इसी गुण के कारण फैटी लिवर के लक्षण का समय रहते पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

फैटी लिवर के प्रकार | Types of Fatty Liver in hindi

फैटी लिवर मुख्यतः 2 प्रकार के होते है: NAFLD (अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीस) और AFLD (अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीस)।  आइये जानते है की यह क्या होते है और कैसे ये एक दूसरे से अलग है:

अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीस (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease in Hindi)

NAFLD (अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीस): अगर आपने कभी शराब को हाथ तक नहीं लगाया और आपको लगता है की फैटी लिवर आपको छू भी नहीं सकता, तो आप गलत सोच रहे है। NAFLD (अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीस) एक ऐसी समस्या है जो गलत खानपान या जीवनशैली से हो सकती है।

अगर आपको भी चटपटे मोमो, ठंडी कोक, चीज़ी पिज़्ज़ा, या समोसे खाना पसंद है और हर रोज़ इन्हे खाये बिना आपका मन नहीं भरता तो आप NAFLD के लिए एकदम परफेक्ट कैंडिडेट है।

अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीस (Alcoholic Fatty Liver Disease in Hindi): 

AFLD (अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीस): हर वीकेंड पार्टी करने जाओ और शराब को हाथ भी न लगाओ तो क्या ही जीना? बिना शराब के तो पार्टी फ़ीकी ही है। हैं न? अगर आप भी यही सोचते है और शराब को ही अपना जीवन दान दे दिया है? तो  ज़रा ध्यान से देखिये AFLD आपके ही दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है।

फैटी लिवर के लक्षण | Fatty Liver Ke Lakshan In Hindi

फैटी लिवर के लक्षण | Fatty Liver Ke Lakshan In Hindi

हालाँकि, फैटी लिवर की समस्या में हमे समय पे लक्षणों का पता नहीं चलता पर कुछ ऐसे लक्षण भी है, जिनका ध्यान से निरिक्षण करने से हम फैटी लिवर रोग का समय से इलाज कर सकते है। ऐसे ही कुछ फैटी लिवर के लक्षणों का वर्णन निचे है:

  • लगातार थकान महसूस होना, चाहे आराम किया हो फिर भी।
  • पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में भारीपन या हल्का दर्द।
  • भूख में कमी और खाने की इच्छा ना होना।
  • पेट फूलना या गैस की समस्या।
  • वजन बढ़ना या घटने लगना बिना किसी कारण।
  • त्वचा और आंखों में पीलापन (अत्यधिक स्थिति में)।
  • मूत्र का गहरा रंग और पाचन समस्याएं।
  • एकाग्रता में कमी और दिमागी थकावट।

फैटी लिवर के कारण | Causes of Fatty Liver in Hindi

क्या सिर्फ शराब पीने और बहार का खाने से ही फैटी लिवर होता है? या इसके कोई अन्य कारण भी है? चलिए जानते है। 

  • फैटी लिवर होने के कुछ मुख्य कारण निचे लिखे हुए है:
  • तेल-घी वाला और प्रोसेस्ड फूड लीवर में फैट जमा करता है।
  • शारीरिक गतिविधि की कमी फैट को बर्न नहीं होने देती।
  • मोटापा और इंसुलिन रेसिस्टेंस फैट को लिवर में जमा करते हैं।
  • डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल फैटी लिवर का रिस्क बढ़ाते हैं।
  • कुछ दवाइयों का सेवन लिवर पर नकारात्मक असर डालता है।
  • नींद की कमी और स्ट्रेस हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है।
  • कम पानी पीना लिवर की डिटॉक्स क्षमता को कमजोर करता है।

फैटी लिवर से बचाव | Prevention of Fatty Liver in Hindi

जितनी गंभीर यह बीमारी है, उतना ही आसान है इससे बचाव।  फैटी लिवर रोग से बचाव के लिए आप इन तरीको का इस्तेमाल कर सकते है:

तली-भुनी और प्रोसेस्ड चीज़ों से परहेज करें

ज़्यादा तेल, मसाले और डिब्बाबंद खाने से लिवर पर बोझ बढ़ता है। रोज़ के खाने में हल्का और पौष्टिक भोजन अपनाएँ।

शराब और धूम्रपान से पूरी तरह दूरी बनाएं

शराब लिवर की सबसे बड़ी दुश्मन है। यह फैट को लिवर में जमा होने से रोकने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है।

हर दिन थोड़ी देर व्यायाम या योग ज़रूर करें

30 मिनट की वॉक, हल्का योग या कोई भी शारीरिक गतिविधि फैटी लिवर को कंट्रोल करने में मददगार होती है।

हरी सब्ज़ियाँ, फल और फाइबर युक्त आहार बढ़ाएँ

पत्तेदार सब्ज़ियाँ, जौ, दलिया और मौसमी फल लिवर को हेल्दी रखने में मदद करते हैं और वज़न भी नियंत्रित रखते हैं।

दिन भर पर्याप्त पानी पिएं

शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकालने और लिवर को साफ़ रखने के लिए हाइड्रेटेड रहना बेहद ज़रूरी है।

वज़न को नियंत्रण में रखें

मोटापा फैटी लिवर का एक बड़ा कारण है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से वज़न को काबू में रखें।

पूरी नींद लें और तनाव से दूर रहें

नींद की कमी और लगातार तनाव लिवर पर असर डाल सकते हैं। रोज़ाना 7–8 घंटे की नींद ज़रूरी है।

लिवर की नियमित जांच करवाते रहें

अगर आपको डायबिटीज़, हाई कोलेस्ट्रॉल या मोटापा है तो हर 6-12 महीने में लिवर फंक्शन टेस्ट जरूर कराएं।

फैटी लिवर उपचार के लिए आयुर्वेदिक दवा | Ayurvedic Medicine for Fatty Liver in Hindi

आयुर्वेद में लिवर को “यकृत” कहा जाता है, जो शरीर की पाचन अग्नि और विषैले पदार्थो को शरीर से बहार निकलने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। जब लिवर में वसा जमा होने लगता है, तो आयुर्वेदिक दवाएं इसे धीरे-धीरे डिटॉक्स कर स्वस्थ बनाने में मदद करती हैं।

फैटी लिवर के लिए प्रभावशाली आयुर्वेदिक औषधियाँ

  1. भृंगराज (Bhringraj)
    लिवर की सूजन कम करता है और कोशिकाओं को रीजनरेट करता है। डिटॉक्स में असरदार।
  2. पुनर्नवा (Punarnava)
    लिवर को साफ़ करता है, वॉटर रिटेंशन घटाता है, और सूजन कम करता है।
  3. कुटकी (Kutki)
    आयुर्वेद का सबसे प्रसिद्ध लिवर टॉनिक। पित्त संतुलन में मदद करता है और फैट मेटाबोलिज़्म बढ़ाता है।
  4. कालमेघ (Kalmegh)
    शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है और लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
  5. गिलोय (Giloy)
    लिवर को संक्रमण और सूजन से बचाता है, साथ ही इम्युनिटी भी मजबूत करता है।
  6. त्रिफला (Triphala)
    पाचन सुधारता है और लिवर में फैट जमने से रोकता है। रोज़ाना लेने पर परिणाम बेहतर मिलते हैं।

इन जड़ीबूटियों से युक्त फैटी लिवर के लिए आयुर्वेदिक दवा फैटी लिवर को ख़त्म करने के लिए सबसे ज़्यादा असरदार है।

निष्कर्ष

फैटी लिवर एक ऐसी बीमारी है जो बिना शोर के धीरे-धीरे लिवर को नुकसान पहुंचाती है। इसके लक्षण बहुत सामान्य होते हैं जैसे - हर वक्त थकान रहना, पेट के ऊपरी हिस्से में भारीपन, भूख कम लगना, गैस, वजन बढ़ना या अचानक घट जाना, पीलापन आना आदि।

सिर्फ शराब पीना ही इसका कारण नहीं है, बल्कि तला-भुना खाना, कम एक्सरसाइज, मोटापा, डायबिटीज़, नींद की कमी और तनाव जैसे कारण भी इसके लिए ज़िम्मेदार होते हैं।

इस बीमारी से बचना मुश्किल नहीं है — बस हल्का और पौष्टिक खाना खाएं, शराब से दूर रहें, रोज़ाना व्यायाम करें, पर्याप्त पानी पिएं और नींद पूरी लें। आयुर्वेद में इस समस्या के लिए कई असरदार जड़ी-बूटियाँ हैं जैसे कुटकी, पुनर्नवा, कालमेघ, भृंगराज, गिलोय और त्रिफला।

ये लिवर को डिटॉक्स कर स्वस्थ बनाती हैं और वसा को धीरे-धीरे कम करती हैं। नियमित जांच और सही जीवनशैली अपनाकर आप फैटी लिवर से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

Q1. फैटी लीवर का पहला चरण क्या है?

Ans: फैटी लीवर का पहला चरण ग्रेड 1 होता है। इसमें लीवर में हल्का फैट जमा होता है, लेकिन आमतौर पर कोई गंभीर लक्षण नहीं दिखते। यह स्थिति रिवर्स की जा सकती है अगर समय रहते ध्यान दिया जाए।

Q2. लीवर खराब होने के 10 लक्षण क्या हैं?

Ans: लीवर खराब होने के 10 लक्षण

  • हर समय थकान रहना
  • पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में दर्द
  • भूख में कमी
  • पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना)
  • मुँह में कड़वाहट या बदबू
  • पेट फूलना और गैस बनना
  • उल्टी या मतली
  • हाथ-पैर में सूजन
  • गहरे रंग का पेशाब
  • त्वचा पर खुजली या दाने

Q3. लीवर की सबसे अच्छी जांच कौन सी है?

Ans: लीवर की जांच के लिए निम्नलिखित टेस्ट सबसे अधिक विश्वसनीय हैं:

  • LFT (Liver Function Test): खून के ज़रिए लीवर की कार्यक्षमता का मूल्यांकन
  • Fibroscan: लीवर में फाइब्रोसिस या स्टिफनेस का पता लगाता है
  • MRI / CT स्कैन: डीप स्कैनिंग के लिए
  • लिवर बायोप्सी: अंतिम विकल्प अगर स्थिति गंभीर हो

Q4. क्या अल्ट्रासाउंड फैटी लिवर का पता लगा सकता है?

Ans: हाँ, अल्ट्रासाउंड एक आसान, सस्ती और बिना दर्द वाली जांच है जिससे फैटी लीवर का पता लगाया जा सकता है। इसमें लीवर की इकोजेनिसिटी देखी जाती है जिससे फैट की मात्रा का अंदाज़ा लगाया जाता है।

Q5. फैटी लीवर कितने ग्रेड तक होता है?

Ans: फैटी लीवर को 3 ग्रेड में बांटा गया है:

  • ग्रेड 1: हल्का फैट, कोई लक्षण नहीं
  • ग्रेड 2: मध्यम फैट, कुछ लक्षण हो सकते हैं
  • ग्रेड 3: अधिक फैट, लीवर की कार्यक्षमता प्रभावित होती है

Q6. फैटी लीवर का कौन सा ग्रेड खतरनाक है?

Ans: ग्रेड 3 सबसे खतरनाक होता है। इसमें फैट की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि लीवर में सूजन आ सकती है, और यह लीवर सिरोसिस या लीवर फेलियर की ओर ले जा सकता है। इस स्टेज पर तुरंत इलाज आवश्यक होता है।

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Dr. Prachi Sharma Vats – Ayurvedic Physician, Author & Wellness Expert

Dr. Prachi Sharma Vats is a dedicated Ayurvedic physician specializing in Ayurvedic nutrition, women’s hormonal health, and PCOD management. She holds a Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (BAMS) degree from Shri Krishna AYUSH University, Kurukshetra.

Currently associated with Sheopal’s, a leading Ayurvedic and wellness brand, Dr. Prachi focuses on treating lifestyle related disorders through holistic Ayurvedic practices, personalized diet guidance, and natural healing therapies. Her approach blends classical Ayurvedic wisdom with modern health insights to promote sustainable well-being.

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